पायरिया को खत्म करने के लिए प्रभावी व प्राकृतिक उपचार

पायरिया को खत्म करने के लिए प्रभावी व प्राकृतिक उपचार

हरिकृष्ण बाखरु

पायरिया वास्तव में दांतों की जड़ में होनेवाला रोग है। आजकल अनजाने में ही अधिकतर लोग इसके शिकार हो जाते हैं। दांतों की जड़ों की झिल्लियां इस रोग से पहले प्रभावित होती हैं और फलस्वरुप रोगग्रस्त दांत गिर जाते हैं। इस रोग में मसूड़े कमजोर हो जाते हैं और उनमें मवाद बनने लगती है। बढ़ती उम्र के साथ लोगों को दांत गिरने का यह मुख्य कारण होता है।

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पायरिया किसी भी उम्र को व्यक्ति को हो सकता है। 18 वर्ष से अधिक आयु की करीब आधी जनसंख्या इस रोग की शिकार हो जाती है। कई बार तो पांच वर्ष के बच्चे के दांतों में भी इस रोग के लक्षण नजर आने लगते हैं। उम्र के साथ-साथ रोग बढ़ने लगती है। अगर उचित उपचार न मिले तो दांतों को सहारा देने वाली जबड़े की हड्डियां भी क्षतिग्रस्त हो जाती है और अंत में दांत गिर जाते हैं। हालांकि समय पर इसका उपचार किया जाए तो इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। आज हम इस आलेख में ऐसे प्राकृतिक उपचार यानी ऐसा इलाज के तरीकों के बारे में बताएंगे जिनके द्वारा आप सुरक्षित रुप से घर पर ही पायरिया का इलाज कर सकते हैं।

पायरिया का प्राकृतिक उपचार (Effective Natural Ayurvedic Home Remedies for Pyorrhea in Hindi):

  • पायरिया को खत्म करने के लिए नियमित उपचार आवशयक है। प्रभावी उपचार के लिए रक्त और क्षरीय गंदे तत्त्वों की सफाई आवशयक है। प्रभावित दांतों को न केवल निकाल दिए जाने से रोग खत्म नहीं हो सकता।
  • उपचार की शुरुआत में रोगी को तीन-चार दिनों तक उपवास रखना चाहिए और इस दौरान फलों का रस लेना चाहिए। उपवास के दौरान दिन में सवेरे 8 बजे से रात 8 बजे के बीच हर दो घंटे के बाद संतरे के रस में बराबर मात्रा में पानी मिलाकर लेना चाहिए। अगर संतरे का रस पंसद न आए तब गाजर का रस लिया जा सकता है।
  • साथ ही इस दौरान पेट की सफाई के लिए गरम पानी का एनीमा लिय़ा जाना चाहिए। अगर कब्ज की लगातार शिकायत हो तो उसका भी उपचार इसी दौरान किया जाना चाहिए। अगर कब्ज की लगातार शिकायत हो तो उसका भी उपचार इसी दौरान किया जाना चाहिए।
  • उपवास के बाद रोगी को अगले तीन से पांच दिनों तक आहार के रूप में केवल ताजे फल ही लेने चाहिए। इस दौरान दिन में हर पांच घंटे के बाद ताजे फलों का रस लें। अंगूर, सेब, नाशपाती, संतरा, अनानास, तरबूज इत्यादि फलों का आहार लेने के दौरान वजन कम होता है, इसलिए जिनका वजन पहले से ही कम है वे फलाहार के साथ एक गिलास दूध भी ले सकते हैं।
  • इसके बाद रोगी को तीन मुख्य आहार दिए जा सकते हैं। 1). बीज, आनाज, मेवे। 2). हरी सब्जियां। 3). ताजे फल, हरा सलाद, पूर्ण अनाज की रोटी और ठीक से पकाई गयी सब्जी। पनीर, बादाम और दूध आगे चलकर संतुलित भोजन के रूप में लिए जाने चाहिए।
  • डबल रोटी, शक्कर, अन्य संसाधित और डिब्बाबंद भोजनों से परहेज अति आवशयक है। चटनी, मांस, मद्यपान, कॉफी, तेज चाय और अन्य मांसाहारी खाद्य पदार्थों से भी बचें।
  • शरीर के अन्य भागों की ही तरह ही दातों और मसूड़ों के लिए व्यायाम आवशयक है। इसलिए कड़े व रेशेदार पदार्थ खाने चाहिए। पायरिया से बचने के लिए गेंहूं विशेष रूप से फायदेमंद खाध पदार्थ है। गेंहूं की रोटी चबाने में समय लगता है और रोटी के साथ ही अन्य पदार्थ भी पूर्ण रूप से चबाए जाते हैं, बल्कि इससे भोजन के पचने में भी आसानी होती है।
  • दातों और मसूड़ों को पायरिया से बचाने या प्रभावशाली उपचार के रूप इ कच्चे पालक का रस भी औषधि का काम करता है और अगर पालक के साथ गाजर का रस बराबर मात्रा में मिलकर लिया जाए तो वह और भी प्रभावशाली साबित होता है। पायरिया की बीमारी से बचने का सरल तरीका है प्राकृतिक कच्चे आहार और पर्याप्त मात्रा में पालक व गाजर का रस।
  • सूखा घर्षण, कटि स्नान, श्वसन क्रिया और अन्य रोज सुबह नियमित रूप से करने चाहिए। साथ ही नमक वाले गरम पानी का स्नान अगर हफ्ते में दो बार किया जाए तो फायदेमंद साबित होता है।
  • इनके अलावा घरेलू देख-रेख में दांतों को रोज सुबह और रात में टूथ ब्रश पर नींबू का थोड़ा रस लगाकर दांत साफ करने चाहिए। हां, ब्रश का प्रयोग करने से पहले गरम पानी में जरूर डुबों लें। ब्रश करने के बाद नींबू का थोड़ा सा रस मिलकर गरम पानी से मुंह को अच्छी तरह साफ करें। ब्रश करने के बाद नींबू उंगली से धीरे-धीरे मसूड़ों को एक-दो मिनट तक मलें। इससे रोग की रोकथाम में बड़ी सहायता मिलती है।

अंत में एक बात और, रोग के बारे में अच्छे उपचार से बेहतर है रोग से बचना और जब केवल दांतों की सफाई से ही पायरिया से बच सकते हैं तो फिर परेशानी क्या है! सफाई को तो आप पसंद करते ही हैं।

(यह आलेख हरिकृष्ण बाखरु द्वारा लिखी गयी किताब 'रोगों का प्राकतिक उपचार' से साभार लिया गया है।)

 

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